सीएसआईआर-केंद्रीय काँच एवं सिरामिक अनुसंधान संस्थान

CSIR-Central Glass & Ceramic Research Institute

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সিএসআইআর-কেন্দ্রীয় কাঁচ ও সেরামিক গবেষণা সংস্থা

सीएसआईआर-केंद्रीय काँच एवं सिरामिक अनुसंधान संस्थान

CSIR-Central Glass & Ceramic Research Institute

"मानवता के लिए सिरामिक एवं काँच में नवाचार"

आत्माराम

आत्माराम

विशेषज्ञता:- रसायनज्ञ

जन्म: 12 अक्टूबर, वर्ष 1908, जिला पिलाना,

बिजनौर, उत्तर प्रदेश

शिक्षा: बी.एससी, कानपुर, 1929 ; M.Sc., इलाहाबाद, 1931; पीएचडी, इलाहाबाद

व्यवसाय: औद्योगिक अनुसंधान ब्यूरो के अंतर्गत अनुसंधान टीम में स्व.डॉ. एस. एस. भटनागर के नेतृत्व में अनुसंधान टीम के सदस्य के रूप में कार्य आरंभ किया। और बाद में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) में कार्य भार ग्रहण किया। वर्ष 1995 में शाषी निकाय ने उन्हें नवगठित केंद्रीय कांच एवं सिरामिक अनुसंधान संस्थान में संगठनात्मक दायित्व भार सौंपा। क्रमशः सफलतापूर्वक प्रभारी अधिकारी एवं संयुक्त निदेशक का पद संभालने के बाद वर्ष 1952 में डॉ. आत्माराम संस्थान के निदेशक नियुक्त हुए।

डॉ. आत्माराम 22 अगस्त 1966 को वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद के महानिदेशक नियुक्त हुए वर्ष 1977 में अध्यक्ष, नेशनल कॉलेज ऑव साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी (NCST) तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर केंद्रीय मंत्री मंडल में वर्ष 1977-83 तक प्रधान मंत्री के प्रमुख सलाहकार रहे ।

फैलो: अध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (INSA), 1969-70; भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान; रसायनज्ञों की संस्था (भारत); (इंस्टीटयूसन ऑव केमिस्ट) इंडियन केमिकल सोसाइटी; मानद फेलो, सोसाइटी ऑफ ग्लास टेक्नोलॉजी, शेफील्ड, 1966।

सदस्य: वर्ष 1948 में ग्लास पर अंतर्राष्ट्रीय आयोग; इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ सिरामिक्स, जिनेवा। इंटरनेशनल यूनियन ऑफ प्योर एंड एप्लाइड कैमिस्ट्री के उच्च तापमान के रसायन विज्ञान पर आयोग में भारत से उन्हें सदस्य नियुक्त किया गया था। अध्यक्ष, भारतीय विज्ञान कांग्रेस, 1968; अध्यक्ष, रसायनज्ञ संस्थान; इंडियन सिरामिक सोसाइटी 1952-53; अध्यक्ष, भारतीय विज्ञान समाचार एसोसिएशन, 1965-1966, 1966-1967, उपाध्यक्ष भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान।

सम्मान एवं पुरस्कार: शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, 1959; पद्मश्री, 1959; प्लेक ऑव ऑनर- ऑल इंडिया ग्लास मैन्युफैक्चरर्स फेडरेशन, 1964; डॉक्टरेट (Hon.Cau.), लेनिन सोवियत प्रौद्योगिकी संस्थान, लेनिनग्राद, 1959

उल्लेखनीय योगदान: डॉ. आत्माराम के नेतृत्व में संस्थान ने भारत में प्रकाशित काँच के उत्पादन के लिए संपूर्ण देशी प्रौद्योगिकी का विकास किया एवं वर्ष 1960 से प्रकाशीय काँच का उत्पादन किया गया तथा देश के लिए आवश्यक परिमाण का उत्पादन किया जाता है।

डॉ. आत्माराम के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में भारतीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हुई प्रगति के अंतर्गत संस्थान में फोम ग्लास का उत्पादन एवं सेलिनियम फ्री रेड ग्लास, इन्सूलेटिंग ईंट के उत्पादन में अपशिष्ट माइका का प्रयोग एवं माइका के वेट ग्राइडिंग की तकनीक प्रमुख हैं। मौलिक कार्य के अंतर्गत कांच का संघटन एवं कॉपर रेड ग्लास में रंग का उद्भव प्रशंसनीय कार्य है।

डॉ. आत्माराम ने 200 से अधिक व्यवसायिक जर्नल में मौलिक शोध पेपर में अपना योगदान दिया एवं 31 पेटेंट फ़ाइल किया।   

Last Updated on February 5, 2021