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সিএসআইআর-কেন্দ্রীয় কাঁচ ও সেরামিক গবেষণা সংস্থা
सीएसआईआर-केंद्रीय काँच एवं सिरामिक अनुसंधान संस्थान
CSIR-Central Glass & Ceramic Research Institute
संस्थान अवलोकन
केन्द्रीय कांच एवं सिरामिक अनुसंधान संस्थान (सेन्ट्रल ग्लास एण्ड सिरामिक रिसर्च इंस्टीट्यूट-सीजीसीआरआई) आरंभिक समय में सेन्ट्रल ग्लास एण्ड सिलिकेट रिसर्च इंस्टट्यूट के नाम से बना था और यह संस्थान वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुससंधान परिषद के अंतर्गत आरंभ की गई सबसे पहली चार प्रस्तावित प्रयोगशालाओंमें से एक है | अन्य तीन प्रयोगशालाएं हैं एन.सी.एल.-पुणे, एन.पी.एल-नई दिल्ली एवं सीएफआरआई-धनबाद | इस संस्थान ने सन् 1944 में सीमित रूप में काम करना आरंभ तो कर दिया था परंतु औपचारिक रूप से इसका उद्घाटन 26 अगस्त 1950 को किया गया |
आरंभिक चरण में देश में उपलब्ध खनिज संसाधनों का पता लगाना एवं विशेष उत्पादों के विकास में उनका उपयोग करना ही मुख्य उद्देश्य था | कांच एवं सिरामिकी में गुणवत्ता पर ध्यान देना एवं कांच संबन्धित उपकरणों एवं मशीनों के निर्माण पर भी विशेष जोर डाला गया |
पचास के दशक में किए गए कार्यों के परिणामस्वरूप साठ के दशक में सीजीसीआरआई के पदार्पण से देश के आर्थिक विकास के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया और ऑप्टिकल ग्लास के क्षेत्र में सराहनीय विकास से अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में विशेष ख्याति मिली |
ऑप्टिकल कांच एक सामरिक महत्व की सामग्री है जिसका प्रयोग पेरिस्कोप, बाइनोकुलर, रेंज फाइंडर, गन-साइट, फायर-डायरेक्शन एवं सर्वे उपकरण जैसे माइक्रोस्कोप, टेलीस्कोप, कैमरा, प्रॉजेक्टर, थियोडोलाइट आदि के निर्माण में लेंस एवं प्रिस्म के प्रयोग के लिए किया जाता है | संस्थान को एक विशेष कार्य सौंपा गया था जो ऑप्टिकल ग्लास के उत्पादन प्रक्रिया प्रौद्योगिकी का विकास करना था ताकि देश ग्लास के आयात से छुटकारा पा सके क्योंकि ग्लास उत्पादन विश्व के कुछ ही देशों में किया जाता है और विकास प्रक्रिया एक बहुत ही सुरक्षित एवं गोपनीय तथ्य है | संस्थान ने इस विषय पर प्रौद्योगिकी प्रक्रिया का विकास सफलता पूर्वक किया एवं आवश्यक उपकरण के आरेखन एवं संरचना का विकास किया तथा 1961 में इसका उत्पादन कोई 10(दस) टन तक पहुंच गया था |
इसी समय (साठ के दशक में) ऑप्टिकल ग्लास के विकास के अलावा मुख्य गतिविधियां रहीं ग्लास एवं सिरामिकी में आधुनिक तकनीकी की शुरुआत,कांच संबन्धित मूल्यांकन में क्ले एवं माइका आधारभूत/मौलिक अध्ययन जैसे कि विशेष विशिष्ट/उपयोग/प्रयोग के लिए उनकी उपयोगिता एवं महत्वपूर्ण कार्यों में उच्च तापमान का विकास आदि |
भारतवर्ष में हो रहे विभिन्न अनुसंधान कार्यों के साथ स्पर्धा रखते हुए सीजीसीआरआई ने ‘डिफेन्सिव रिसर्च सबस्टिट्यूशन’ का रास्ता अपनाया एवं अनुसंधान-योजनाकारों ने भविष्य को भांप लिया था। ऑप्टिकल ग्लास के विकास के तुरंत बाद ही सत्तर के दशक में लेज़र ग्लास, इन्फ्रारेड ट्रांस्मिटिंग फिल्टर, सिन्थेटिक क्वार्टज सिंगल क्रिस्टल, हाईटेम्परेचर हाई एल्यूमिना सिरामिक सील एवं स्पेसर आदि पर आंरभिक कार्य शुरू कर दिया था | इन सबने सीजीसीआरआई को ‘’उद्यमशील’’ अनुसंधान करने की पहचान के साथ-साथ सर्वोपरि स्थान पर भी पहुंचा दिया है. इस क्रम में फोम ग्लास, ग्लास बॉण्डेड माइका, स्टील प्लांट रिफ्रैक्टरी आदि पर भी अनुसंधान किए गए ताकि भारतीय उद्योगों की आवश्यकताएं भी पूरी की जा सके | अस्सी के दशक में पदार्पण करते ही कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की गईं जिनमें से कुछ क्षेत्रों में इस समय भी अनुसंधान कार्य चालू है | इस समय/अवधि के दौरान दूरसंचार के लिए टेलीकम्युनिकेशन, विशिष्ट सिरामिकी सामग्री, ग्लास फाइबर आधारित कम्पोजि़टों का उत्पादन, इलैक्ट्रोनिकी पर कार्य आरंभ किए गए थे | इनमें से कुछ एक क्षेत्रों में विश्वस्तरीय पहचान हासिल की गई है |
इस समय ग्रामीण पॉटरी के क्षेत्र में विकास पर जोर डाला गया | ग्रामीण दस्तकारों के सहयोग से यह कार्य संभव किया गया। क्लस्टर विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए संस्थान ने दो विस्तार केन्द्रों की स्थापना की । एक नरोड़ा, गुजरात एवं अन्य खुर्जा, उत्तर प्रदेश में जिसमें वहां के राज्य सरकार आंशिक वित्तीय सहायता प्रदान करती है और उद्योगों को काफी सुविधाएं मिली हैं जिससे पुराने तरीकों के स्थान पर नई एवं आधुनिक प्रौद्योगिकियों के प्रयोग से लाभ हुआ है |
पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले के पांचमूड़ा में सीजीसीआरआई द्वारा प्रदत्त प्रौद्योगिकी की मदद् से स्थानीय मिट्टी (क्ले) के प्रयोग द्वारा पॉटरी उत्पादन स्थानीय दस्तकारों के लिए वरदान सिद्ध हुआ है. सीजीसीआरआई के वैज्ञानिक सभी कार्यों में साथ रहे और दस्तकारों/कारीगरों को प्रशिक्षण से लेकर अच्छी गुणवत्त संपन्न उत्पाद में सुधार द्वारा स्थानीय जिलापरिषद ने केन्द्र को वाणिज्यिक स्तर पर चलाना आरंभ कर दिया है और ग्रामीण जनता को उसका लाभ प्राप्त कराया जाता है |
नब्बे के दशक में सीजीसीआरआई ने जिन क्षेत्रों में ध्यान दिया उनका आरंभिक कार्य पिछले दशक में ही शुरू कर दिया गया था और भारतीय उद्योगों की ओर से उनकी मांग भी प्रबल रही | इस दशक में जिन कार्यक्षेत्रों में अधिक महत्व दिया गया वे हैं राष्ट्रीय सुरक्षा एवं सामरिक महत्व, औद्योगिक विकास (विशेष का सामाजिक महत्व की प्रौद्योगिकियां जैसे जल, ऊर्जा, स्वास्थ्य कल्याण, सामुदायिक सेवा आदि | हाल ही में सीजीसीआरआई ने ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत कई कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान दिया | कुछ कार्यक्रम हैं लिक्वीड एवं गैस सेपटेशन प्रौद्योगिकी के लिए सिरामिक सामग्री पर सूप्रा इन्सट्यूशनल परियोजना, नैनोसामग्री, फोटो पावर माइक्रोवेब ट्यूब पर नेटवर्क परियोजना आदि |
Last Updated on December 7, 2022