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সিএসআইআর-কেন্দ্রীয় কাঁচ ও সেরামিক গবেষণা সংস্থা
सीएसआईआर-केंद्रीय काँच एवं सिरामिक अनुसंधान संस्थान
CSIR-Central Glass & Ceramic Research Institute
"मानवता के लिए सिरामिक एवं काँच में नवाचार"

कपिल देव शर्मा
कपिल देव शर्मा
विशेषज्ञ: कांच प्रौद्योगविज्ञ
जन्म: 27 जुलाई, 1920 में गुजरानवाला में, (अब पाकिस्तान में)
शिक्षा: बी.एससी पंजाब विश्वविद्यालय; B.Sc. (काँच प्रौद्योगिकी), बनारस हिंदू विश्वविद्यालय; M.Sc. (प्रौद्योगिकी), शेफ़ील्ड।
व्यवसाय: वर्ष 1945 में काँच उद्योग में एक वर्ष के लिए काम किया फिर भारत सरकार से वृत्ति लेकर उच्च शिक्षा के लिए यूके (संयुक्त राज्य) चले गए। शेफिल्ड विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय ख्यति प्राप्त एवम सुपरिचित प्रो. टर्नर एवं प्रो. एच मुर के तत्वावधान में शोध कार्य किया। रॉक वेयर ग्लास लि., ग्रीनफोर्ड, यूके एवं कर्टूला लासितेदास,फिनलैंड में काम भी किया।
संस्थान में सितंबर, 1948 में वैज्ञानिक अधिकारी के रूप में कार्य आरम्भ किया। आरंभ से ही संस्थान के प्लैनिंग एवं विकास कार्य के साथ रहे । 1953-54 में नैशनल ब्यूरो ऑफ़ स्टैण्डर्डस यूएसए में कांच विभाग में अतिथि कर्मी, सहायकनिदेशक -1954, उपनिदेशक-1960 और निदेशक – 1967-80 तक रहे.
फेलो: सोसाइटी ऑफ ग्लास टेक्नोलॉजी, यू.के.; इंस्टीट्यूट ऑव सिरामिक्स, यु.के. अध्यक्ष, भारतीय सिरामिक संस्थान; अध्यक्ष, भारतीय सिरामिक सोसायटी।
सदस्य: 1959 में प्रकाशीय और चश्में के कांच परियोजना के लिए भारत सरकार की विशेषज्ञ टीम के सदस्य के रूप में यूएसएसआर का दौरा किया । ग्लास उद्योग पर एनपीसी स्टडी टीम में वैकल्पिक प्रमुख के रूप में 1962 में यूएसए और यूके गए; ग्लास पर अंतर्राष्ट्रीय आयोग के सदस्य ; ग्लास वेयर के लिए आईएसआई अनुभागीय समिति के अध्यक्ष।
पुरस्कार एवं सम्मान: आर जी नेल स्वर्ण पदक, एम एस विश्वविद्यालय, बड़ौदा।
उल्लेखनीय योगदान: भारत में पहली बार एक रणनीतिक रक्षा सामग्री ऑप्टिकल ग्लास का विकास और उत्पादन; फोम कांच का विकास, परमाणु रिएक्टरों के लिए विकिरण परिरक्षण विण्डोज़, कांच पिघलाने वाली भट्टियां; कांच के लिए कच्चे माल; उत्पादकता , 3 पेटेंट दायर किए ।
Last Updated on February 5, 2021