सीएसआईआर-केंद्रीय काँच एवं सिरामिक अनुसंधान संस्थान

CSIR-Central Glass & Ceramic Research Institute

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সিএসআইআর-কেন্দ্রীয় কাঁচ ও সেরামিক গবেষণা সংস্থা

सीएसआईआर-केंद्रीय काँच एवं सिरामिक अनुसंधान संस्थान

CSIR-Central Glass & Ceramic Research Institute

संस्थान के शिलान्यास का प्लैटिनम जयंती

निदेशक की ओर से एक आग्रह / अनुरोध: पूर्व छात्रों / कर्मचारियों का पंजीकरण

प्रिय मित्रों,

केन्द्रीय काँच एवं सिरामिक अनुसंधान संस्थान अपने आधारशिला रखने के बाद अब 75 वर्ष पूरा करने जा रहा है जिसे सर अरदेसिर दलाल द्वारा 24 दिसंबर 1945  को रखा गया था। विज्ञान की साधना में 75 वर्ष चलना कोई सरल काम नहीं है। अपने इस लंबे और कठिन अन्वेषण कार्य के दौरान संस्थान ने कई उपलब्धियां प्राप्त की। इनमें से कुछ के नाम लें  तो वे हैं – विभिन्न प्रकार के रंगीन काँच का विकास, विभिन्न प्रकाशीय काँच, सिग्नल के लिए काँच, स्वदेशी कच्चे माल से हॉट फेस रिफ्रैक्टरी, इंफ्रारेड ट्रांसमिटिंग काँच, मिट्टी से लाभकारी कार्य करने की प्रक्रिया, एब्रेसन रेसिस्टेंट ग्लास सिरामिक टाइल, एल्यूमिना सिरामिक के लिए ज्ञान क्षेत्र (Knowledge base), टाइल उत्पादन में क्ले का विकल्प, स्वास्थ संबंधी अनुप्रयोगों हेतु सिरामिक प्रत्यारोपण का विकास, विकिरण परिरक्षण काँच, लेजर काँच तथा औद्योगिक एवं चिकित्सा अनुप्रयोग में फाइबर लेजर आदि।

हम कह सकते हैं कि , ये सभी वैज्ञानिक उपलब्धियों ने संस्थान को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सहोदरों के साथ समान प्रतिस्पर्धा क्षमता प्रदान किया है। तथापी इन ऊंचाइयों को छूने में प्रमुख शक्ति का संचार दशकों से उन विभिन्न असाधारण व्यक्तियों का रहा जिन्होंने विभिन्न दक्षता में जैसे कि वैज्ञानिक, कार्मिक, छात्र एवं आगंतुक पेशेवरों ने अपना योगदान दिया।

 संस्थान के शिलान्यास समारोह की प्लैटिनम जयंती की तैयारियों के साथ-साथ पूर्व सहकर्मियों के (सभी स्तर के) एक डेटाबेस तैयार करने का भी निर्णय लिया गया है।

यदि आप किसी भी रूप में सीएसआईआर-सीजीसीआरआई से जुड़े हैं या (रहे) हैं तो मेरा विनम्र आग्रह है कि हमारे वेबसाइट के एल्यूमनि पोर्टल (Alumni Portal) में अपना नाम पंजीकृत करवाएँ या फिर हमारे कार्यालय को एक ईमेल या पत्र भी भेज सकते हैं। आप से अनुरोध है कि अपने परिचित साथियों में भी यह सूचना अवश्य दें।

मैं निश्चित हूँ कि इस प्रकार आपके सहयोग से हम एक मानव संसाधन विरासत का पुर्ननिर्माण कर सकेंगे जिनके कारण ही हम इस शीर्षस्थान पर आज सगौरव खड़े हैं।

 

सधन्यवाद,

के. मुरलीधरन

निदेशक

 

Last Updated on March 18, 2020