सीएसआईआर-केंद्रीय काँच एवं सिरामिक अनुसंधान संस्थान

CSIR-Central Glass & Ceramic Research Institute

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সিএসআইআর-কেন্দ্রীয় কাঁচ ও সেরামিক গবেষণা সংস্থা

सीएसआईआर-केंद्रीय काँच एवं सिरामिक अनुसंधान संस्थान

CSIR-Central Glass & Ceramic Research Institute

उपलब्धियां

प्रथम दशक (1950s)

  • रंगीन काँच, सिनटर्ड काँच एवं फ़ोम काँच पर शोध कार्य। छत निर्माण सामग्री के रूप में फ़ोम काँच महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें थर्मल इंसूलेशन अधिक एवं अच्छा मिल सकता है।
  • ग्रीन ग्लास का विकास। लाल रंग के काँच पर काम किया गया।
  • विद्युत चालित फरनेस पर परीक्षण। फ़ोम ग्लास पर परीक्षण के लिए एक फरनेस विशेष रूप से डिजाइन किया गया था।
  • नौसेना द्वारा विभिन्न मापदंडो के लिए रिफ्रैक्टरी इंटों का परीक्षण
  • उच्च एल्यूमिना क्ले एवं कायनाइट जैसे स्वदेशी कच्चा माल से हॉट फेस रिफ्रैक्टरी विकसित करने के लिए अनुसंधान कार्य
  • पीले, नीले, हरे, लाल, लाल-भूरे रंग के विभिन्न रंगों के आठ नए ऑन-ग्लेज रंगों को तैयार किया गया और परीक्षण पर पाया गया कि आयातित ब्लाईथ रंगों के साथ अच्छा तालमेल बैठ रहा है। यह प्रक्रिया अपशिष्ट अभ्रक (माइका) से इन्सूलेशन ईंट बनाने के लिए विकसित की गई है।
  • सीएसआईआर के ग्लास एंड रिफ्रैक्टरी रिसर्च कमिटी द्वारा ऑप्टिकल ग्लास उत्पादन हेतु एक पायलट प्लांट की इकाई स्थापित करने की सिफ़ारिश की गई।
  • 95% AI2O3 बॉडी के साथ पोर्सिलीन स्पार्क प्लग का विकास
  • सन-ग्लेयर काँच का विकास
  • फ्रॉण्टियर क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास कार्य को प्रसारित करने के लिए सीजीसीआरआई बुलेटिन नामक एक पुस्तिका का आरंभ किया गया।

द्वितीय दशक (1960s)

  • ऑप्टिकल ग्लास के उत्पादन के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत किया गया। इसी के उत्पादन के लिए निर्माण कार्य किया गया और 1961 में संस्थान का प्लांट चालू हो गया।/
  • ग्राहक की मांग के आधार पर ऑप्टिकल ग्लास की 25 प्रकारों का विकास किया गया। गुणवत्ता की तुलना करें तो अंतरराष्ट्रीय मानकों पर इंटरफेरोमीटर, कैमरा, दूरबीन, रेंज फिल्टर तैयार किए गए।
  •  बख्तरबंद वाहनों के लिए टैंक पेरिस्कोप प्रिज्म का विकास किया गया।
  • विकिरण को कट ऑफ करने के लिए उच्च परिमाण सीसा के साथ विशिष्ट कांच से स्लैब 
  • माइक्रोस्कोप, टेलीस्कोप, इंटरफेरोमीटर, कैमरा, दूरबीन, रेंज फिल्टर्स में प्रयोग किए जाने हेतु रैंडम स्लैब के रूप में प्रकाशीय काँच सप्लाई किया जाता था। 
  • प्रतिरक्षा क्षेत्र में वाहन हेड लैंप में उपयोग के लिए विशेष इनफ्रारेड ट्रांस्मिटिंग कांच। 
  • हाइड्रोथर्मल तकनीकों का उपयोग करके सिंथेटिक क्वार्ट्ज एकल क्रिस्टल विकसित किए गए। पायलट प्लांट के स्तर यह काम तक काम बढ़ाया गया। 
  • ग्लास टू मेटल सील के लिए काँच। इन्हें इलेक्ट्रॉनिक वाल्व बनाने के लिए आवश्यकता थी 
  • जेट निकास प्रणाली में उपयोगी एरो-इंजन के अंशों के लिए उच्च तापमान युक्त पोर्सिलन एनामेल 
  • अपशिष्ट अभ्रक के लिए हीट इंसुलेटिंग ईंट बनाने का काम जारी रहा। तीन भारतीय फर्मों ने इस प्रक्रिया को अपनाया और उत्पादन शुरू की। आयातित वर्मीक्यूलिट ईंटों के विकल्प के रूप में इस्पात संयंत्रों, औद्योगिक भट्टियों, तेल रिफाइनरियों, कपड़ा, पेपर मिलों में इन ईटों का इस्तेमाल किया जाने लगा। 1967 तक, फर्म द्वारा14 करोड़ रुपये की ईंटें बेची जा रही थीं। 
  • देशी जरकोन रेत से ओपसीफायर; पॉटरी उद्योग में सिरामिक ग्लेज़ के लिए उपयोग किया जाता है
  •  सुरक्षा रेजर ब्लेड से व्हील ग्राइंडिंग 
  • कटिंग टूल्स के लिए केमिकली टफेन्ड ग्लास और सेरामाइज्ड ग्लास
  • क्ले का विघटन 

तृतीय दशक (1970s)

  • जीएसई और खान मंत्रालय के सहयोग से स्थानीय रूप से काँच एवं सिरामिक के लिए कच्चा माल प्राप्त करने के लिए खोज। विशेषतः आयातित बॉल क्ले के सब्सट्रेट के रूप में प्लास्टिक क्ले को संसोधित कर कवर्ड ग्लास सैंड एवं क्ले तैयार करना
  • आयात के विकल्प के रूप में जो महत्वपूर्ण पहल किए गए उनमें ग्लास बॉण्डेड अभ्र के उत्पादन प्रक्रिया, लो इंपेंडेंस ग्लास इलेक्ट्रोड्स, इनऑर्गेनिक बॉण्डेड कम्यूटेटर टाइप माइकानिट्स, औद्योगिक ज्वेवल के लिए ग्लास सिरामिक सामग्री।
  • कोक ओवन के ढलान में लाइनिंग के लिए घर्षण प्रतिरोधी ग्लास सिरामिक टाइल्स के उत्पादन की प्रक्रिया।
  • उच्च स्तरीय परमाणु अपशिष्ट के स्थिरीकरण प्रक्रिया पर कार्य आरंभ करना।
  • प्रतिरक्षा विभाग को 30 प्रकार के प्रकाशीय काँच की आपूर्ति
  • प्रतिरक्षा विभाग के लिए विशेष इनफ्रारेड ट्रांस्मिटिंग ग्लास एवं आर्सेनिक ट्राइ सल्फाइड फिल्टर का विकास।
  • 5-10 कि.मी. रेंज में अत्याधुनिक रेंज फ़ाइंडर के लिए Nd-डोप्ड लेज़र कांच।
  • क्वाटर्ज़ सिंगल क्रिस्टल का और भी विकास
  • पारंपरिक सिरमिकी में उत्पाद विकास, टेस्टिंग एवं लक्षण वर्णन, प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन के लिए विकास एवं अनुसंधान सुविधा प्रदान करने के लिए नरोड़ा केन्द्र की स्थापना

चतुर्थ दशक (1980s)

  • सॉल जेल प्रसंस्करण तकनीकों में विशेषज्ञता। आरएसडब्ल्यू ग्लास ब्लॉकों पर एंटी-रिफलेक्टिव कोटिंग्स प्रक्रिया के उत्पादन में सफलतापूर्वक की गई; विरोधी चमक अनुप्रयोगों के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
  • प्रतिरक्षा विभाग के लिए दो प्रकार के लेज़र ग्लास विकसित और आपूर्ति किए गए। परमाणु ऊर्जा अनुप्रयोगों के लिए बड़े लेजर ग्लास डिस्क और रॉड्स के लिए ट्रायल परीक्षण चलाया गया
  • अनेक प्रकार के अनुप्रयोगों में उपयोग करने के लिए एल्यूमिना सिरामिक की चार प्रकार विकसित की गई।
  • नॉन फेरॉस मेटल्लर्जी में उपयोग के लिए प्रतिक्रिया बॉण्डेड सिलिकॉन नाइट्राइड का विकास
  • प्रोस्थेटिक अनुप्रयोगों के लिए बायोग्लास और काँच सिरामिक में कार्यविधियाँ आरंभ की गई।
    • ग्लास प्रबलित जिप्सम का विकास, एक कम लागत वाली मिश्रित सामग्री जिसे लकड़ी के विकल्प के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। सुलभ हाउसिंग स्कीम के लिए यह सामग्री विशेष रूप से उपयुक्त थी
    • सिरामिक लाइनर्स पर अनुसंधान एवं विकास के लिए तथा प्रशिक्षण प्रदर्शन कार्यक्रम प्रदान करने के लिए खुर्जा केंद्र की स्थापना
    • मलकेरा कोलियरी, धनबाद में 225 मीटर स्वदेशी केबल के माध्यम से ऑप्टिकल फाइबर संचार प्रणालियों की स्थापना। मल्टीमोड ग्रेडेड इंडेक्स ऑप्टिकल फाइबर के उत्पादन के लिए उद्योग के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे

    पंचम दशक (1990s)

    • 50% साधारण मिट्टी तथा 50% अपशिष्ट सामग्री के मिश्रण से बने खोखले भवन ब्लॉकों का विकास। उदा फ्लाई ऐश, चावल की भूसी की राख आदि द्वारा
    • सिलिकेट और फॉस्फेट लेजर काँच का विकास
    • ऑप्थेल्मिक एवं शीट ग्लास पर एंटी-रिफ्लेक्टिव कोटिंग
    • प्लाज्मा स्प्रे अनुप्रयोगों के लिए ज़िरकोनिया डोप्ड माइक्रो-स्पीयरों का विकास
    • ऑटोमोबाइल एम्मिसन्स के उत्प्रेरक नियंत्रण के लिए कॉर्डियराइट आधारित मधुकोश का विकास
    • सिरामिक से बने वस्तुओं के उत्पादन के लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कच्चे माल की उपयुक्तता का प्रदर्शन खुर्जा एवं नरोदा केंद्रों द्वारा किया गया था।

      छठा दशक (2000 का दशक)

      • जैवसक्रिय (बायो-एक्टिव) काँच आधारित सामग्री मध्यस्थ औषधि वितरण प्रणाली
      • ऑटोमोटिव अनुप्रयोग के लिए कार्बन फाइबर प्रबलित SiC सिरामिक क्लच घर्षण प्लेट
      •  लौह अयस्क अवशेषों से विट्रीफाइड टाइल्स का विकास
      • पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्वी राज्यों में आर्सेनिक हटाने वाले संयंत्रों की स्थापना
      • अति-निम्न (अल्ट्रालो) विस्तार पारदर्शी ग्लास के लिए प्रक्रिया प्रौद्योगिकी
      • CATV और दूरसंचार अनुप्रयोगों के लिए पैकेज्ड सीबैंड ऑप्टिकल एम्पलीफायर
      • गैररेखीय ऑप्टिकल अनुप्रयोगों के लिए फुलरीन C60 डोप्ड मोनोलिथिक बल्क ग्लास
      •  चिकित्सा अनुप्रयोगों के लिए बायोसिरामिक प्रत्यारोपण का विकास
      • पंचमुड़ा, बांकुड़ा, पश्चिम बंगाल में ग्रामीण विकास के लिए सिरामिक केंद्र की स्थापना
      • बर्तनों (क्रॉकरी) और टेबलवेयर के लिए चमकदार टेराकोटा
      • पारदर्शी सिंटेड जीएल्यूमीनियम ऑक्सीनाइट्राइड का विकास
      • खदानों में मीथेन का पता लगाने के लिए गैस सेंसर

       

      सातवां दशक (2010 एवं उसके बाद)

      • इंडक्शन काँच पिघलने की सुविधा
      • आरएसडब्ल्यू काँच के लिए रिफ्रैक्टरी क्रूसिबल तकनीक
      •  संरचनात्मक स्वास्थ्य निगरानी और सेंसर के लिए एफबीजी आधारित प्रौद्योगिकी
      • Nd- डोप्ड लेजर काँच के लिए प्रौद्योगिकी
      • चिकित्सा अनुप्रयोग के लिए थूलियम फाइबर लेजर
      • इन्फ्रारेड ऑप्टिक्स के लिए चाल्कोजेनाइड काँच
      • Er और Er/Yb डोप्ड फाइबर एम्पलीफायर
      • बड़े सोलर कवर काँच पर एंटीरिफ्लेक्टिव/हाइड्रोफोबिक कोटिंग
      • इस्पात बनाने के लिए रिफरैक्टरी रैमिंग द्रव्यमान
      • विकिरण परिरक्षण खिड़की के शीशे के लिए प्रौद्योगिकी
      • परमाणु अपशिष्ट स्थिरीकरण के लिए विशेष बोरोसिलिकेट ग्लास बीड्स
      • इंजीनियरिंग अनुप्रयोगों के लिए रिएक्शन बॉन्डेड सिलिकॉन नाइट्राइड
      • HAp आधारित सामग्रियों से बायोसेरेमिक प्रत्यारोपण का विकास
      • रिफरैक्टरी कास्टेबल्स
      • टाइलों के लिए यूक्रेनी क्ले सप्लीमेंट्स का विकास
      • गुप्त अनुप्रयोग के लिए आईटीओ फोम का विकास
      • हाइड्रोजन गैस पृथक्करण के लिए पैलेडियम आधारित झिल्ली
      • कन्फोकल माइक्रोस्कोपी के लिए सुपरकॉन्टिनिवम प्रकाश स्रोत
      • नीले रंग के मिट्टी के बर्तनों के लिए सीसा रहित फ्रिट्स और ग्लेज़ का विकास
      • उत्तर पूर्वी राज्यों और पश्चिम बंगाल में पानी से आयरन हटाने के लिए संयंत्रों की स्थापना

      Last Updated on December 27, 2023